उत्तर प्रदेश का इतिहास | उत्तर प्रदेश उत्तर भारत का एक राज्य है | यह भारत में सबसे अधिक जनसँख्या वाला राज्य है. राज्य की प्रशासनिक तथा विधायिक राजधानी लखनऊ तथा न्यायिक राजधानी प्रयागराज है.
उत्तर प्रदेश का इतिहास
उत्तर प्रेदेश भारत का एक राज्य है. यह भारत की सर्वाधिक जनसँख्या वाला राज्य है. प्रशासनिक सुधिवओं को ध्यान में रखते हुए इस राज्य को 75 जिलों तथा 17 मंडल में बांटा गया है. 9 नवम्बर 2000 ई. को इस जिले के पहाड़ी क्षेत्र को विभाजित कर एक नए राज्य उतराखंड का गठन किया गया था.
संसार के प्राचीनतम शहरों में से एक शहर वाराणसी इसी राज्य में स्थित है. समय के साथ-साथ यह जिला छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट गया तथा बाद में यह बड़े-बड़े साम्राज्य जैसे की गुर्जर-प्रतिहार, गुप्त, मौर्य तथा कुषाण आदि साम्राज्यों का मुख्य भाग बन गया था. 7वीं सदी में कन्नौज गुप्त साम्राज्य का केंद्र था.
यहाँ पर 1000-1030 ई. में मुसलमानों का आक्रमण आरंभ हो गया था, किन्तु भारत में 12वीं सदी के बाद ही मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना हुई थी. 650 सालों तक अधिकांश उत्तर प्रदेश मुस्लिम शासकों के अधीन रहा था. in शासकों का केंद्र वर्तमान दिल्ली या उसका कोई नजदीकी इलाका था.
लगभग 75 वर्षों के दौरान उत्तर प्रदेश धीरे-धीरे अंग्रेजों के अधीन आ गया था. 1856 ई. में कंपनी ने अवध पर कब्ज़ा कर लिया था. 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई की महत्वपूर्ण भूमिका थी. उन्होंने डटकर अंग्रेजों का सामना किया था.
जब देश आजाद हुआ तो 1947 ई. में संयुक्त प्रान्त को भारतीय प्रान्त की प्रशासनिक इकाई बना दिया गया था. 24 जनवरी 1950 ई. को संयुक्त भारत का नाम बदल कर उत्तर प्रदेश कर दिया गया और इसे एक राज्य का दर्जा प्रदान किया गया था.
यहाँ के प्रथम मुख्यमंत्री गोविन्द वल्लभ पंत थे. अक्टूबर 1963 ई. को सचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश तथा भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री बनीं थी.